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हनीट्रैप के हल्ले के बीच जो बहुत बुरा हो रहा है, वह है अविश्वास का माहौल

मीडिया            Oct 04, 2019


प्रकाश भटनागर।
हनी ट्रैप से उपजी सनसनी अब कतई प्रभावित नहीं कर रही। सच कहें तो इस कांड के कर्ताधतार्ओं के चेहरे बेनकाब किये जाने की इच्छा भी अब पहले जैसा जोर नहीं मार रही। क्योंकि इस सबकी जगह भयावह आशंकाओं ने ले ली है। उन सवालों ने ले ली है, जो कई रसूखदार लोगों के बंद चैम्बर या अज्ञातवास के भीतर से उठ रहे हैं।

हनी ट्रैप को दिमाग में रखकर चिंतन कीजिए। आप यकीनन सिहरन से भर जाएंगे। चारों तरफ वह माहौल दिखेगा, जिसमें सिर्फ और सिर्फ पैसे का खेल और कामवासना से सने लोगों के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।

असीमित महत्वाकांक्षाओं के ठांठें मारते समुद्र में डुबकी लगाने को हर कोई बेचैन है। इस स्नान के लिए कोई नंगा होने से नहीं झिझका तो किसी ने निर्वसन चरित्र को अपनाने में भी गुरेज नहीं किया।

पहले बात मीडिया की। बीते कुछ समय के घटनाक्रम से शुरू करते हैं। भोपाल के नजदीकी जिले में कलेक्टर ने रेत के ठेकेदार को छह करोड़ की वसूली का नोटिस थमा दिया है। मामला चौंकाता नहीं, बशर्ते इसमें यह न होता कि जिस ठेकेदार या कंपनी का यहां जिक्र हो रहा है, वह पिछले कुछ सालों से भोपाल में न्यूज चैनल का ग्रुप बनाकर पत्रकारिता करने का स्वांग भी बखूबी संचालित करती आ रही हैं।

इस घटनाक्रम से तेजदार चेहरे के पीछे छिपी कालिख उनके अब तक के तमाम कामों पर उतरती दिखने लगी है। इधर, मालवा की सरजमीं पर गुटखे का धंधा करते-करते पहले करोड़पति बने और अब अखबार संचालित करने लगे एक भाऊ का अपने यहां की पूर्व महिला पत्रकार से कानूनी झगड़ा थानों और कचहरी में चल रहा है।

अदालती मुक्ताकाश पर जो पेंचबाजी दिख रही है, उसके अनुसार गुटका मालिक ने खुद को दबंग मानते हुए अपनी पूर्व मुलाजिम पर बारह करोड़ रुपए के गबन का आरोप लगा दिया है। इधर, महिला पत्रकार का प्रत्यारोप है कि उस पर आरोप लगाने वाले ने खुद उसकी मेहनत के अट्ठारह लाख रुपए हजम कर लिए हैं। चार महीने का वेतन खा गया और अब झूठे मुकदमें लगा कर डराने की कोशिश कर रहा है।

अब मजे की बात यह कि जिस बारह करोड़ की राशि का जिक्र है, वह दरअसल उन सरकारी विज्ञापनों की है, जिनके रिलीज आॅर्डर ही नहीं हुए थे। तो मालिक महोदय से पूछा जाना चाहिए कि इतने दिन तक बगैर आरओ के विज्ञापन प्रकाशित करने के निर्णय पर वह क्यों चुप्पी साधे हुए थे।

बहरहाल, हो यह रहा है कि महिला पत्रकार ने भी पूर्व मालिक के खिलाफ कार्यस्थल पर प्रताड़ना की शिकायत दर्ज करा दी। इस मामले में दबंग मालिक के एक पूर्व संपादक की गिरफ्तारी और जमानत भी हो गई है।

शायद अब महिला पत्रकार को प्रताड़ित करने के मामले में अदालत में चालान भी पेश होने वाला है। यहां अपने दमखम पर मालिक से लड़ाई लड़ रही महिला पत्रकार की तारीफ की जानी चाहिए कि वो कम से कम अपने साथ हो रहे अन्याय का प्रतिकार तो कर ही रही हैं।

इधर, ईट सीमेंट से पत्रकारिता के जगत में भी अपनी दीवार मजबूत करने का नाकाम प्रयास कर चुके एक सज्जन का जिक्र किये बिना यह चर्चा अधूरी है। क्योंकि उन्होंने भी आधी आबादी को अपनी पूरी ताकत बनाया। उम्र से कम और जलवों से भरपूर महिला स्टाफ की दम पर वह इतना गुरूर से भर गये थे कि एक आला अफसर और दिवंगत दिग्गज नेता से उलझ गये।

नतीजा यह कि पहले उनके भवन ध्वस्त हुए और फिर उनका गुरूर भी ढह गया। अश्लील सीडी से ब्लेकमैल करने का सिलसिला भी मध्यप्रदेश में यहीं से शुरू हुआ था और तब शिवराज सरकार के एक मंत्री को चार करोड़ रूपए देने पड़े थे। एक पत्रकार की भूमिका भी यहां महत्वपूर्ण थी। इस पत्रकार को हनी ट्रेप का ढाई दशक पुराना अनुभव है।

इन तीनों मामलों में पैसा सबसे अहम कारक रहा। जाहिर है कि रेत के ठेके में छह करोड़ की गड़बड़ी एक दिन में नहीं की गयी होगी। यदि कोई समूचा जिला प्रशासन इस लूट के बावजूद चुपचाप बैठा हो तो तय है कि इस चुप्पी के पीछे कोई बहुत लुभावना या डरावना फैक्टर काम कर रहा होगा।

कहा जा रहा है कि कलेक्टर महोदय ने करीब चार से छह महीने पुरानी फाइल की धूल झाड़ने के बाद वसूली का नोटिस जारी किया है। खास बात यह कि ऐसा उस समय किया गया, जब हनी ट्रैप की बात सामने आने के बाद भोपाल तथा इंदौर के कई दिग्गज दुम दबाये बैठे हुए हैं। इस लिहाज से नोटिस की टाइमिंग कई सवाल उठा रही है।

अब जिन गुटखा किंग की बात पहले की गयी, हम बता दें कि व्यावसायिक रूप से घाघ होने का उन्हें दीर्घकालीन अनुभव है। ईंट-सीमेंट वाले महानुभव के लिए अलग से व्याख्या की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि उन्होंने हमेशा से ही पारदर्शिता बरती। खुला खेल फरूर्खाबादी वाली शैली में। ऐसी अपार पारदर्शिता और वह भी पूरी निर्लज्जता के साथ दिखाना, वाकई जिगर का काम है।

मजेदार बात यह है कि पत्रकारिता के पेशे में उन लोगों का आगमन तेजी से हो रहा है, जिन्होंने उलटे सीधे धंधों से करोड़ों कमा लिए हैं। ऐसे लोगों को अपने धंधे और रसूख को बढ़ाने या बचाने के लिए मीडिया एक बड़ा सहारा दिख रहा है। जाहिर है ऐसे गौरखधंधे वाले लोग सारे तरीके यहां भी अजमा रहे हैं।

लेकिन इन सबसे जो बहुत बुरा हो रहा है, वह है अविश्वास का माहौल। सार्वजनिक जीवन में प्रगति करती कमोबेश हरेक महिला को अब संदेह की नजर से देखा जाने लगा है। क्योंकि जिन-जिन गॉडमदर ने हनी ट्रैप का खेल रचा, उन्होंने सार्वजनिक जीवन में कहीं एनजीओ तो कहीं किसी और काम की आड़ में यकायक तरक्की हासिल की तथा अपराध का ऐसा साम्राज्य तैयार कर लिया, जो अब सबके सामने आ चुका है।

सिर्फ महिलाएं ही क्यों, अब एक भी ऐसा राजनेता या आला अफसर नहीं बचा, जिसे हम संदेह की नजर से न देख रहे हों। यानी इस कांड ने पूरे प्रदेश में गेहूं के साथ घुन को भी पिसने पर मजबूर कर दिया है। यहां राजगढ़ वाली उस लड़की का जिक्र जरूरी है, जिसे हनी ट्रैप के लिए आकर्षक जिंदगी और नौकरी के नाम पर इस्तेमाल किया गया।

याद रखिये कि बीते कुछ साल में भोपाल बाहर से आकर पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का बड़ा ठिकाना बन चुका है। यह तो जरूर ही याद रखिए कि इन्हीं कुछ साल में ऐसी ही बाहरी छात्राओं में से कई ने बगैर कोई वजह सार्वजनिक किये आत्महत्या कर ली है। बहुत अधिक हुआ तो उन्होंने अपने माता-पिता से उस अपराध के लिए क्षमा मांगते हुए यह कदम उठाया, जिस अपराध को उन्होंने सार्वजनिक नहीं किया।

तो क्या यह संभव नहीं है कि इनमें से अधिकांश खुदकुशी इसी हनी ट्रैप के लिए चारा तालशने के खेल से जुड़ी हुई हो। मजबूर किए जाने या फिर वैसा न करने पर ब्लैकमेल करने की वजह से की गयी हो! पुलिस को गुजिश्ता कुछ साल के ऐसे मामलों की नये सिरे से जांच करना चाहिए।

बहुत मुमकिन है कि मधुमक्खी के दंश से असमय खत्म हुए तमाम जिंदगियों का राज यहां खुल जाए। लेकिन पुलिस तो वह भी नहीं कर रही, जो किया जाना चाहिए। वह हो या एसआईटी, इन्हें रोजाना प्रेस ब्रीफ के जरिये हनी ट्रैप मामले में जांच की प्रगति को सार्वजनिक करना होगा।

इस कांड की आड़ में जो नये-पुराने आपत्तिजनक वीडियो वायरल हो रहे हैं, पुलिस/एसआईटी को साफ करना चाहिए कि उनका इस कांड तथा बताये गये व्यक्ति से कोई संबंध है भी या नहीं। जांच एजेंसी भी ऐसे वीडियोज या अटकलों पर मुंह बंद रखेंगी तो यह सिलसिला अंतहीन हो जाएगा।

इस मामले का पूरा सच सामने लाना इस शांति के टापू की प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए बहुत आवश्यक हो गया है। क्योंकि इस वक्त सारा देश भौंचक्का होकर मध्यप्रदेश की ओर देख रहा है। हनी ट्रैप से संबद्ध एक-एक गतिविधि पर सबकी नजर है।

 



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